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मैं विचार हूँ
अदना सा सही
किन्तु हूँ अवश्य
विशिष्ट नहीं बनना चाहता
क्योंकि मैं विचार हूँ
क्योंकि मैं जेहन में कौंधता हूँ
नसों मैं खौलता हूँ
गहरे तक उतरता हूँ
किताबों में धूल खाता हूँ
पन्नों मे फड़फड़ाता हूँ
दीवारों पर चिपकता हूँ
पढ़ा और खारिज किया जाता हूँ
असहमतियों से टकराता हूं
सहमति पर पोसा जाता हूँ
सुविधानुसार थोपा जाता हूँ
सो मैं विचार हूँ..
मेरी मौजूदगी संक्रामक है
मेरा मर जाना घातक है
संस्कृतियों की छाँव हूँ
सभ्यता की नाव हूँ
शिलापट्ट का लेख हूँ
सूली पर टांगा जाता हूँ
तीरों से बींधा जाता हूँ
अँधेरे तहखानों मे बंद होता हूँ
ग्रंथों मे उतारा जाता हूँ
नस्लों में रोपा जाता हूँ
शब्दों से सींचा जाता हूँ
राजप्रासाद मे आसन पाता हूँ
क्योंकि मैं विचार हूँ..
कभी नष्ट किए जाने पर आँखें मूंदता हूँ
चुपके से गहरी साँस भरता हूँ
निर्जीव दिखने की चेष्टा करता हूँ
फिर मौका देख उठ खड़ा होता हूँ
समस्त प्राणवायु के साथ जोर लगाता हूँ
प्रत्यंचा सा खिंचता हूँ
फिर पूरी त्वरा से छूट जाता हूँ
हर जेहन से गुजरता हूँ
पूरी शक्ति से दौड़ लगाता हूँ
…क्योंकि मैं विचार हूँ
मेरा मर जाना घातक है
और अशुभ भी….
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